गाजीपुर: बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज, पहले पिता को दिया कांधा, फिर दी मुखाग्नि

By: Izhar
Jun 28, 2025
404

सेवराई : उत्तर प्रदेश जनपद गाजीपुर के सेवराई तहसील क्षेत्र के अठहठा गांव से एक ऐसी कहानी सामने आई है, जिसने सभी को भावुक कर दिया। यहां 55 वर्षीय अशोक राम का निधन हो गया, जिसके बाद उनकी तीन बेटियों खुशबू , कुमकुम, छोटी, ने न केवल अपने पिता को कंधा दिया, बल्कि हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार, उन्हें मुखाग्नि भी दी। इस दृश्य को देखकर श्मशान घाट पर मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं।

बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज

अशोक राम की कोई संतान नहीं थी, सिवाय इन तीन बेटियों के। उन्होंने अपनी बेटियों को बेटों की तरह ही पाला और उन्हें हर तरह से सशक्त बनाया। बेटियों ने बताया कि उनके पिता ने कभी बेटे और बेटी में कोई भेदभाव नहीं किया। इसी परवरिश का नतीजा था कि पिता के निधन के बाद, तीनों बेटियों ने यह दृढ़ निश्चय किया कि वे बेटे और बेटी, दोनों का फर्ज निभाएंगी।

समाज में जहां आज भी कई जगह पितृसत्तात्मक सोच हावी है, वहीं इन बेटियों ने एक मिसाल कायम की है। उन्होंने न केवल अपने पिता की अंतिम यात्रा में कंधा दिया, बल्कि सभी कर्मकांडों को पूरा करते हुए उन्हें मुखाग्नि भी दी। यह घटना दर्शाती है कि बेटियां किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं हैं और वे हर परिस्थिति में अपने परिवार का सहारा बन सकती हैं।

पिता की अंतिम इच्छा पूरी नहीं कर पाईं बेटियां 

अशोक राम ने मरने से पहले अपनी बेटियों से यह इच्छा जाहिर की थी कि जब भी उनकी मृत्यू हो उन्हें उनकी पैतृक जमीन में ही दफनाया जाए। पिता की मृत्यू के बाद बेटियों उनकी इच्छा के अनुसार, पैतृक जमीन में कब्र खोदना शुरू किया। जैसे यह खबर अशोक राम के भाई और अन्य ग्रामीणों को लगी वह मौके पर पहुंचे और ऐसा करने से इन बेटियों को रोक दिया।

 मामला बढ़ने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस

मामला इतना बढ़ा की रेवतीपुर थाना पुलिस को मौके पहुंचना पड़ा। मामले में हसतक्षेप किया। लेकिन अशोक राम की बेटियां पिता को उनकी इच्छा के अनुसार, ही पैतृक जमीन में दफन करने के लिए अड़ गईं। विरोध करने वालों का कहना था कि मृतक का अंतिम संस्कार पुरानी व्यवस्था के अनुसार, या तो दलित बस्ती के कब्रिस्तान में या फिर गहमर नरवा गंगा घाट पर होना चाहिए। 

वहीं, मृतक अशोक राम के छोटे भाई अवधेश चंद एवं संजय कुमार ने बताया कि अभी पारिवारिक भूमि का बंटवारा कागजी तौर पर नहीं हुआ है सभी लोग व्यावहारिक रूप से खेती किसानी कर परिवार को चला रहे हैं ऐसे में पैतृक भूमि में दाह संस्कार करना उचित नहीं है। विरोध के बाद अशोक राम बेटों को समझाया गया। काफी समझाने-बुझाने के बाद बेटियां अपने पिता के अंतिम संस्कार गहमर के नरवा गंगा घाट करने के लिए राजी हुईं। इसके बाद अंतिम संस्कार किया गया।


Izhar

Reporter - Khabre Aaj Bhi

Who will win IPL 2023 ?