सनसनीखेज ....भारत की सीमा पर दोबारा दिखा अमेरिकी F-35 लड़ाकू विमान....विपुल लखनवी,

By: Surendra
Jul 01, 2025
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नवी मुंबई : हाल ही में भारत की सीमा के समीप एक बार फिर अमेरिका का अत्याधुनिक F-35 लाइटनिंग-II लड़ाकू विमान देखे जाने की खबर ने रक्षा एवं कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। यह कोई पहली बार नहीं है जब यह स्टील्थ तकनीक से लैस विमान इस क्षेत्र में नज़र आया हो, लेकिन इसकी बारंबार उपस्थिति अब केवल ‘यादृच्छिक उड़ान’ नहीं मानी जा सकती। यह एक स्पष्ट संकेत है। वैश्विक राजनीति में बदलती ध्रुवीयताओं का और भारत-प्रशांत क्षेत्र में बिगड़ते सामरिक संतुलन का।

F-35 लाइटनिंग-II अमेरिकी रक्षा उद्योग की सबसे उन्नत बहुउद्देशीय लड़ाकू प्रणाली है। इसके कुछ प्रमुख पक्ष हैं। स्टील्थ तकनीक के कारण रडार से लगभग अदृश्य रहता है। इसकी सुपरसोनिक गति 1.6 मैक से अधिक है।

यह हवाई युद्ध, जासूसी, लक्ष्य भेदन, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। इस विमान की उपस्थिति न केवल शक्ति प्रदर्शन है, बल्कि उस क्षेत्र में उसकी दिलचस्पी और उपस्थिति दर्ज कराने की भी कूटनीतिक भाषा है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, F-35 की यह उपस्थिति अरुणाचल प्रदेश के ऊपर पूर्वोत्तर वायुक्षेत्र में रडार पर चिन्हित की गई, जो चीन से सटे क्षेत्र में स्थित है। अमेरिकी सेना की यह उड़ान संभवतः गुप्त निगरानी, सामरिक परीक्षण या मित्र राष्ट्रों को संकेत देने के उद्देश्य से की गई थी।

राजनीतिक-सामरिक अर्थ पर विचार करें तो चीन की आक्रामक गतिविधियों, विशेषकर दक्षिण चीन सागर और ताइवान मुद्दे पर, अमेरिका की यह उड़ान एक चेतावनी है कि वह भारत और इसके पड़ोस में अपनी उपस्थिति बढ़ाने को तैयार है। हालांकि हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच कई रक्षा समझौते हुए हैं। जैसे BECA, LEMOA, और COMCASA।  जिनके तहत दोनों देश अब एक-दूसरे के सैन्य बेस और तकनीकी डाटा का उपयोग कर सकते हैं। यह F-35 उड़ान संभवतः इन्हीं समझौतों की छाया में की गई। रूस और चीन के गठजोड़ की प्रतिक्रिया ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के माध्यम से रूस-चीन एक नया ब्लॉक बना रहे हैं। अमेरिका का यह कदम एक स्पष्ट सिग्नल है कि वह एशिया में सामरिक खाली स्थान नहीं छोड़ेगा।

भारत अपनी "रणनीतिक स्वायत्तता" की नीति पर चलने का दावा करता है, लेकिन ऐसी गतिविधियाँ एक कठिन विकल्प सामने रखती हैं। अमेरिका की सैन्य छाया को स्वीकार करना या अपनी स्वतंत्र सामरिक पहचान को दृढ़ बनाए रखना। यह तय करना भारत के लिए आवश्यक होगा कि वह इन संकेतों को सैन्य अभ्यास माने या भविष्य की घेराबंदी की तैयारी।

F-35 की भारत सीमा के निकट दोबारा उपस्थिति कोई संयोग नहीं, बल्कि एक रणनीतिक बयान है। हालांकि यह भारतीय सीमा में तो नहीं घुसा लेकिन सीमा के निकट से निकल गया अब यह यह दुनिया को बताता है कि अमेरिका भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन को अकेले खेलने नहीं देगा। भारत के लिए यह समय है। सावधानी से सोचे, सधे कदम बढ़ाए, और अपनी सुरक्षा, स्वतंत्रता व कूटनीतिक संतुलन को बरकरार रखे। 

क्या आगे कोई संयुक्त युद्धाभ्यास, भारत में F-35 की बिक्री की संभावना या अमेरिका की भारत-भूमि पर सीधी सैन्य मौजूदगी देखने को मिलेगी? यह प्रश्न आज चर्चा में है और भविष्य इसका उत्तर देगा।


Surendra

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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