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नयी दिल्ली : कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने कहा है कि तब्लीगी जमात मरकज पर कोविड फैलाने के आरोपों की जांच में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिलने पर केंद्र की मोदी सरकार और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को देश के मुसलमानों से माफ़ी मांगनी चाहिए.
अंग्रेज़ी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक तब्लीगी जमात प्रमुख मौलाना साद कन्धालवी और अन्य के खिलाफ़ कोरोना फैलाने के आरोपों की जांच कर रहे दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को मौलाना साद के संदर्भ में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिलने की रिपोर्ट दी है.
शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि कोरोना महामारी के दौरान केंद्र की भाजपा सरकार और दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने मुसलमानों की छवि ख़राब करने के उद्देश्य से इसे मुसलमानों द्वारा फैलाये जाने का नैरेटिव गढ़ा. जिसके कारण देश भर में महामारी के दौरान मुस्लिम दुकानदारों, मुस्लिम फल और सब्ज़ी विक्रेताओं, मुस्लिम होटलों और मौलानाओं के खिलाफ़ संगठित हिंसा हुई. वहीं बहुत सारे मुस्लिमों को इन्हीं झूठे आरोपों में जेल भी भेजा गया. इस सामूहिक अपराध के ज़िम्मेदार पीएम मोदी और दिल्ली के तत्कालीन सीएम केजरीवाल को मुसलमानों से माफ़ी मांगनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि पिछले महीने ही दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि कोविड के दौरान लोगों के जमात के दिल्ली स्थित मरकज में रहने को सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का उल्लंघन नहीं माना जा सकता. उसने इस टिप्पणी के साथ ही 16 एफआईआर और 70 लोगों के खिलाफ़ दर्ज चार्जशीट भी रद्द कर दिया था. इससे साबित होता है कि मुसलमानों की छवि ख़राब करने के लिए ही फ़र्ज़ी मुक़दमे दर्ज कराए गए थे.
शाहनवाज़ आलम कहा कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की भूमिका भी कोरोना के समय मुसलमानों की छवि बिगाड़ने में अहम रही. जिन्होंने किसान आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर आंदोलन ख़त्म नहीं हुआ तो वहां भी तब्लीगी जमात जैसे हालात हो जाएंगे और कोरोना फैल जाएगा.
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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