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सेवराई/गाजीपुर : शासन के द्वारा अधिकारी कर्मचारियों को निर्देशित करते हुए भले ही समय पर कार्यालय में आने का निर्देश प्राप्त है लेकिन अपने ओहदे के मद में चूर अधिकारी कर्मचारियों के ऊपर शासन के किसी भी निर्देश का कोई खास असर नहीं पड़ रहा है।
शासन को सख्त हिदायतों और समय पालन के आदेशों के बावजूद सरकारी दफ्तरों की स्थिति नहीं बदली है। मंगलवार को सरकारी दफ्तरों की पड़ताल की गई। जिसमे सेवराई तहसील कार्यालय और भदौरा ब्लाक मुख्यालय सहित नगर पंचायत कार्यालय दिलदारनगर पड़ताल की गई जिसमें चौकाने वाला मामला सामने आया, इस मामले ने यह साबित कर दिया कि सरकारी जिम्मेदारी अब केवल कागजों तक ही सीमित हो गई है। अफसरों की गैरमौजूदगी ने साफ कर दिया कि शासन की सख्ती कागजों में सिमटकर रह गई है। भदौरा ब्लॉक मुख्यालय पर स्थित बाल विकास पुष्टाहार विभाग कार्यालय में बड़े बाबू संजय कुमार सिंह एवं पत्रवाहक जितेंद्र पाठक की देखरेख में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पुष्टाहार का वितरण किया जा रहा था। जबकि सीडीपीओ की कुर्सी खाली मिली, पूछने पर पता चला कि नवागत सीडीपीओ अभी तक कार्यभार ही ग्रहण नही की है।
सबसे पहले टीम सेवराई तहसील पहुंची जहां तहसीलदार कार्यालय में ताला लटका हुआ था। घड़ी में 10 बजकर 06 मिनट हो चुके थे, लेकिन दफ्तर में सन्नाटा पसरा था। वहां कोई भी कर्मचारी अधिकारी मौजूद नहीं था। वही तहसीलदार कोर्ट, नायब तहसीलदार कार्यालय, कार्यालय न्यायालय ऑफिस तहसील सेवराई, आर के कार्यालय के गेट पर भी ताला लटका हुआ था। वहाँ तहसीलदार सुनील कुमार सिंह का अता-पता नहीं था। दफ्तर में ताला लगा होने के कारण फरियादी तहसील परिसर में ही साहेब के आने का इन्तेजार कर रहे थे। इसके बाद टीम 10.10 बजे एसडीएम कार्यालय पहुंची। यहां भी हालात वही मिले। एसडीएम संजय यादव की कुर्सी खाली थी। तय समय बीत जाने के बाद भी दफ्तर में अफसर नही थे। एसडीएम कोर्ट में कर्मचारी अशोक मौजूद रहे। तहसील के मुख्य गेट के समीप बने खतौनी काउंटर की खिड़की भी बन्द मिली और कमरे में ताला लटका हुआ था।
भदौरा ब्लाक कार्यालय पहुंचने पर विकास परियोजना कार्यालय भदौरा में तो स्थिति और भी निराशाजनक रही। सुबह 10.20 बजे तक न तो सीडीपीओ रंजू द्विवेदी पहुंचीं मिली और न अन्य नव नियुक्त सुपरवाइजर। सिर्फ बड़े बाबू और पत्रवाहक मौजूद रहे। एडियो पंचायत भदौरा, एडियो समाज कल्याण की कुर्सी भी खाली मिली। वही समूहों की देखरेख के लिए बनाया गया ब्लॉक मिशन प्रबंधक कार्यालय में भी ताला लटका रहा। कृषी विभाग के कमरों में भी ताला बंद मिला। सवाल यह है कि जब शासन की लगातार सख्ती और अनुशासन की निर्देशो के बावजूद अधिकारी कर्मचारी समय पर दफ्तर नहीं पहुंचते, तो आमजन के फरियादों का निस्तारण कैसे होंगा? जनता इंतजार में है, लेकिन जिम्मेदारी अब भी कुर्सियों के भरोसे है। जब अधिकारी कर्मचारी ही अपनी जिम्मेदारियों को नही समझ रहे हैं तो लोगो के समस्याओं का क्या निस्तारण होगा।
नगर पंचायत दिलदारनगर कार्यालय में अधिशासी अधिकारी संतोष कुमार अनुपस्थित मिले। वहां मौजूद अन्य कर्मचारी से पूछने पर पता चला कि साहेब मीटिंग में गए हुए हैं। बताते चले की अधिशासी अधिकारी के नगर पंचायत कार्यालय में बैठने के लिए सप्ताह में केवल दो दिन मंगलवार और शुक्रवार ही तय है। वही अध्यक्ष अविनाश जयसवाल ने बताया कि अधिशासी अधिकारी मीटिंग का हवाला देकर महीनो गायब रहते हैं। जिससे नगर पंचायत और आमजन का कार्य भी प्रभावित होता है।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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